आसमाँ इतनी बुलंदी पे जो इतराता है
भूल जाता है ज़मीं से ही नज़र आता है
आसमाँ इतनी बुलंदी पे जो इतराता है
भूल जाता है ज़मीं से ही नज़र आता है
अब लगता है ठीक कहा था ग़ालिब ने
बढ़ते-बढ़ते दर्द दवा हो जाता है
ये पहला इश्क़ है तुम्हारा, सोच लो
मेरे लिए ये रास्ता नया नहींCSIR NET Mathematical Science Previous Year Question Paper June 2024 held 25 July 2024 and other Question papers from 2011 to 2024 Downloa...